“अरदास” हिंदी अध्यात्मिक कविता
जो तुझसे छुपा सकूं , ऐसा कोई राज़ नहीं ,
सब कुछ तुझे पता है , मेरी कोई अरदास नहीं .
तूने मुझे वो सब दिया , जिसका मैं हकदार था ,
जो तूने दे के ले लिया, उसका कोई मलाल नहीं .
मैं बैठा हूँ तेरी चौखट पर , बेहद सुकून से,
सब कुछ तेरा था तूने ही दिया, खोने को कुछ भी “मेरा अपना ” मेरे पास नहीं .
बस इतनी गुजारिश है , अपनी नज़र तू मुझ पर ऐसे ही बनाये रखना ,
कोई और मुझे तेरी तरह चाहने वाला , फिल्हाल नहीं …
अर्चना की रचना “सिर्फ़ लफ्ज़ नहीं एहसास”
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