Bairi Chaand Hindi poetry on love and romance

by | Sep 17, 2020 | LOVE, MISSING SOMEONE, SENTIMENTS | 0 comments

Hindi  poetry on love and romance  -  बैरी चाँद  > अर्चना की रचना
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प्रेम और विरह पर आधारित हिंदी कविता

 

बैरी चाँद 

 
 
मोरी अटरिया पे ठहरा ये “बैरी चाँद”
देखो कैसे मोहे चिढाये
दूर बैठा भी देख सके है मोरे पिया को
मोहे उनकी एक झलक भी न दिखाए ..
 
कभी जो देखूं पूरा चाँद, याद आती है वो रात
जब संग देख रहा था ये बैरी, हम दोनों को टकटकी लगाये …
 
बिखरी थी चांदनी पुरे घर में, रति की किरण पड़ रही थी तन मन में
और खोये थे हम दोनो, घर की सारी बत्तियां बुझाये …
 
अविस्मर्णीय हैं वो सारी रात , जिस का सिर्फ तू ही एक साक्ष्य
फिर क्यों बना तू ऐसा बैरी , जो मोहे उनकी कोई खबर न बतलाये…
 
तू भी तो विरह में जलता है, घटता और बढ़ता है
गुम हो जाता है अमावस को , सिर्फ पूनम की रात ही पूरा कहलाये ..
 
एक जैसी है हम दोनों की पीर, जी को भेदती है बन के तीर
बड़ा भाग्यशाली है तू फिर भी, जो अपनी चांदनी से एक दिन तो मिल पाये..
 
तू तो चमकता रहता है बिन मीत, चाहे हो चौथ या हो ईद
ऐसा क्या करता है तू बैरी , मोरा तो सारा रूप रंग मुरझाये …
 
तू अलौकिक है असाधारण भी, सुन्दरता का उदाहरण भी
अधुरा हो के भी मोहक लागे , सब देते हैं तेरी उपमायें..
 
मेरी इतनी सी है तोसे गुजरिया, मोहे ला दे उनकी कोई खबरिया
जो चाहे तू मैं वो कर दूँगी , ओढ़ लूंगी तेरी सारी बलायें….
 
मोरी अटरिया पे ठहरा ये बैरी चाँद …..
 
अर्चना की रचना “सिर्फ लफ्ज़ नहीं एहसास “
 
 

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