हिंदी कविता जीवन संघर्ष पर
चिड़ियाँ का सफर
एक चिड़ियाँ जब अपना घोंसला बनाती है
न जाने कितनी मुश्किलें उठाती है
भटकती रहती है उस शाख की तलाश में
जिसकी जड़ें कच्ची न हो
बनाना हो घोसला जिस डाल पर
उस पेड़ की नींव अधपक्की न हो
बस यही सोच उड़ती रहती है
वो उस शाख की तलाश में
इस डाल से उस डाल पे
के कही तो मिले आशियाँ उसे ऐसा
जिस पेड़ की बुनियाद कच्ची न हो
नहीं तो घोंसले टिक नहीं पाते
उड़ा ले जाते उन्हें हल्की हवा के झोंके भी
क्योंकि वो हालतों की आँधिया
सेह नहीं पाते
यूं तो उस शाख को ढूंढ लेने
की ख्वाहिश मामूली सी लगती है
पर जो देखोगे उस चिड़ियाँ का सफर
तो विश्वास कर पाओगे
जो उसे इस शाख की तलाश में
जाने कहाँ कहाँ उड़ा ले जाती हैं
जब कभी तुम कोई घोंसला देखो अपने घर में
तुम उसको न गिरा देना
न जाने कैसे कैसे जमा किया होगा एक एक
तिनका उसने उस घोंसले का
तुम उसको न बहा देना
उस खोंसले को प् लेने की खातिर वो
न जाने कितने जतन करती है
एक चिड़ियाँ जब अपना घोंसला बनाती है
न जाने कितनी मुश्किलें उठाती है
अर्चना की रचना “सिर्फ लफ्ज़ नहीं एहसास”
0 Comments