Chikne Ghade Hindi poetry on life and hypocrisy

जीवन और पाखंड पर हिंदी कविता ” चिकने घड़े” कुछ भी कह लोकुछ भी कर लोसब तुम पर से जाये  फिसलक्योंकि तुम हो चिकने घड़ेबेशर्म बेहया और कहने कोहो  रुतबे  में बड़ेउफ्फ ये चिकने घड़े बस दूसरों का ऐब ही देखता तुमकोअपनी खामियां न दिखती तुमकोपता नहीं कैसे आईने के सामने होपाते हो खड़ेक्योंकि तुम हो चिकने … Continue reading Chikne Ghade Hindi poetry on life and hypocrisy