Dekho Phir Aayee Deepawali- Hindi poetry on Deepawali festival and its Happiness

by | Dec 10, 2019 | FESTIVAL, INSPIRATIONAL | 0 comments

हिंदी कविता दीवाली पर्व और उसकी खुशी पर

देखो फिर आई दीपावली

देखो फिर आई दीपावली, देखो फिर आई दीपावली
अन्धकार पर प्रकाश पर्व  की दीपावली
नयी उमीदों नयी खुशियों की दीपावली
हमारी संस्कृति और धरोहर की पहचान दीपावली
जिसे बना दिया हमने “दिवाली”
जो  कभी थी दीपों की आवली

जब श्री राम पधारे अयोघ्या नगरी
लंका पर विजय पाने के बाद
उनके मार्ग में अँधेरा न हो
क्योंकि वो थी अमावस्या की रात
स्वागत किया अयोध्या वासियों ने
उनका सैकड़ों दीप जलाने के साथ
लोगों के हर्ष की सीमा न थी
चारों ओर खुशियां ही खुशियां थी
क्योंकि कोई लौट आया था
चौदह वर्षों के वनवास के बाद
इसलिए ऐसी कहते हैं दीपावली
जिसे बना दिया हमने दिवाली
जो कभी थी दीपों की आवली

अब  न हम दीप जलाते
खुशियों के
अब तो हम लगाते हैं
झालरों की कतार
दीवारों को ऐसे सजाते हैं
जैसे हो जुगनुओं की बारात
 उस सजावट और बिजली के बिल में
निकल जाता है हमारा “दिवाला” हर बार
शायद यहीं सोच हम कहते  दिवाली
जो कभी थी दीपों की आवली
तो आओ मनाये एक ऐसी दीपावली
न निकले दीवाला  जहाँ किसी का
 न हो अँधेरा किसी घर में इस बार
जो ले आये किसी कुम्हार के घर
फिर वहीँ पुरानी  दीपावली की बहार
उसका सुना द्वार भी चमके
दीयों की रौशनी से इस बार
उसके घर भी ले आये दीपावली
भूलकर चीन की झालरों की कतार
चलो आओ मनाये ऐसी दीपावली
जो हो दीपों की आवली

चलो पुनर्जीवित करे उसी
संस्कृति और धरोहर को
जो थी हमारी सभ्यता
की पहचान
जिसे ढाँक दिया था हमने
धन कुबेर पाने की इच्छा के साथ
और भूल गए थे हम  रीति रिवाज़ सब
इस नयी चमक दमक के साथ
चलो घर के हर कोने को चमकाए
पर सिर्फ दीपों की आवली  के  साथ
जहां हर तरफ हो दिये ही दिये इस बार
अगर हो सके तो
कुछ फ़िज़ूल खर्ची रोक कर
थोड़ा निकलते हैं अपने घर की गलियों  में
जहां तरस रहा हो कोई बच्चा
मानाने को ये त्यौहार
उसके चहेरे पे भी खुशियां लाये
दे कर मिठाई और उपहार
चार दीप उस के घर जलाये
तब लगेगा ये त्योहार
वरना सब दिखावा है बेकार
सच पूछों तो यही अर्थ है त्योहारों का
जो ले आये किसी उदास चेहरे पर बहार
फिर देखना हो जाएगी
तुम्हारी दीपावली की खुशियां
दो गुनी मेरे यार
गर किया तुमने इस पर विचार
तो हर तरफ होंगे खुशियों के दीपक इस बार
और  हर कोई कहेगा
देखो फिर आई दीपावली, देखो फिर आई दीपावली
अन्धकार पर प्रकाश पर्व  की दीपावली
नयी उमीदों नयी खुशियों की दीपावली
हमारी संस्कृति और धरोहर की पहचान दीपावली

मैंने तो ये सोच लिया है
सदा  ऐसे ही दीपावली मनाऊंगी
अपने घर को हर बार दीपों से ही सजाऊंगी
खूब  खुशियां बाटूंगी और आशीर्वाद कमाऊँगी
ऐसी होगी मेरी दीपावली इस बार
ऐसी होगी हम सब की दीपावली इस बार

अर्चना की रचना  “सिर्फ लफ्ज़ नहीं एहसास”

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