एक खलल हिंदी कविता
सारांश – जीवन किसी का भी मुकम्मल नहीं है चाहे वो राजा हो या रंकl हर किसी की ज़िन्दगी में कुछ न कुछ कमी /खलिश है और वो खलिश हमेशा आपके साथ चलती है, आपकी तन्हाईओं पे भी l उसी पर आधारित एक छोटी सी कविता ” एक खलल ”
कौन कहता है कि मैं अकेला रहता हूँ
एक खलल हमेशा मेरे साथ रहती है l
खामोश सी पलती है मेरे भीतर,
उसकी दखल हर वख्त आवाज़ देती है l
जाने कुछ तो खलिश है उसके न होने से ,
उसकी नकल की अब भी मुझे तलाश रहती है l
काश और क्यों पे ज़िन्दगी गुज़ार तो देते
पर अब अकल मुझे कस के फटकार देती है l
बहला लिया हमने खुद को लिखने का शौक पाल कर,
यादों के असल से तो मर के ही निज़ाद मिलती है l
अर्चना की रचना ” सिर्फ लफ्ज़ नहीं एहसास “
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