Hindi Hum tujhse sharminda hai- Hindi Poetry On Our Mother Tongue Hindi

by | Dec 20, 2019 | INSPIRATIONAL, SATIRE | 0 comments

हिंदी कविता मात्र भाषा हिंदी पर

हिंदी हम तुझसे शर्मिंदा हैं 

 

आज कल ओझल हो गयी है हिंदी एसे

महिलाओं के माथे से बिंदी जैसे

कभी जो थोड़ा बहुत कह सुन लेते थे लोग
अब उनकी शान में दाग हो हिंदी जैसे

लगा है चसका जब से लोगों अंगरेजियत अपनाने का
अपने संस्कारों को दे दी हो तिलांजलि जैसे


अब तो हाय बाय के पीछे हिंदी मुँह छिपाती है
मात्र भाषा हो के भी लज्जित हो रही हो जैसे


है गौरव हमें बहुत आज एक शक्तिशाली देश होने का
पर अपनी पहचान हिंदी को हमने भूला दिया हो जैसे


आज हिंदी दिवस पर हमें हिंदी याद आयी एसे
हमारे पूर्वजों को दे रहे हो श्रद्धांजलि जैसे

आज कल ओझल हो गयी है हिंदी एसे…

अर्चना की रचना “सिर्फ लफ्ज़ नहीं एहसास”

और पढ़ें:- Udhar Ki zindagi- Hindi Poetry Satire

 

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