kaha tak sath chaloge A Hindi poetry based on expectations in relationships

by | Feb 10, 2020 | INSPIRATIONAL, RELATIONSHIPS, SENTIMENTS | 0 comments

Hindi poetry based on relationships - कहाँ तक साथ चलोगे > अर्चना की रचना
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रिश्तों पर आधारित हिंदी कविता 

कहाँ तक साथ चलोगे 

सबसे जुदा हो कर पा तो लिए तुमको मैंने
पर ये तो बोलो कहाँ तक साथ चलोगे ?
न हो अगर कोई बंधन रस्मो और रिवाजों का
क्या तब भी मेरा ही साथ चुनोगे
बोलो कहाँ तक साथ चलोगे ?
 
एक धागे में पिरोई माला तक
सिमित रहेगा प्यार तुम्हारा
या इस गठबंधन के बाहर भी
तुम मुझसे ही प्यार करोगे
 
कागज़ पर लिखा तो विवश होकर भी
निभाना पड़ता है
इस विवशता से परे क्या
तुम मेरे अंतर्मन को भांप सकोगे
 
कभी जो आहत हो मन तुम्हारा
मेरी किसी नादानी पर,
समझा लेना मुझको प्यार से,
विचारों में पलती दूरियों को
तुम वही थाम लोगे
 
कैसी भी घड़ी हो ,
कितनी भी विषम परिस्थिति हो
तुम सदा मेरा विश्वास करोगे
तुम मेरे साथ रहोगे
बोलो क्या ये सब निभा सकोगे ?
 
अर्चना की रचना “सिर्फ लफ्ज़ नहीं एहसास”
और पढ़ें -: 

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