Pathik Ki Prakriti- Hindi inspirational Poetry on Human’s Nature and to move on

मानव प्रकृति पर हिंदी कविता ” पथिक ” की  ” प्रकृति ”  मेरी छाँव  मे  जो भी  पथिक आयाथोडी देर  ठहरा और सुस्ताया मेरा मन पुलकित हुआ हर्षायामैं उसकी आवभगत में झूम झूम लहराया मिला जो चैन उसको दो पल मेरी पनाहो मेंउसे देख मैं खुद पर इठलाया वो राहगीर है अपनी राह पे उसे कल निकल … Continue reading Pathik Ki Prakriti- Hindi inspirational Poetry on Human’s Nature and to move on