Tera Talabgar- Hindi poetry On love
प्यार पर हिंदी कविता तेरा तलबगार जाओ अब तुम्हारा इंतज़ार नहीं करूंगीके अब खुद को मायूस बार बार नहीं करूंगी बहुत घुमाया तुमने हमें अपनी मतलबपरस्ती मेंके अब ऐसे खुदगर्ज़ से कोई सरोकार नहीं रखूंगी रोज़ जीते रहे तुम्हारे झूठे वादों कोके अब मर के भी तुम्हारा ऐतबार नहीं करूंगी तरसते रहे तुझसे एक लफ्ज़ ” … Continue reading Tera Talabgar- Hindi poetry On love
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