Tera Talabgar- Hindi poetry On love

by | Dec 10, 2019 | BETRAYAL, LOVE, RELATIONSHIPS, SENTIMENTS | 0 comments

प्यार पर हिंदी कविता

तेरा तलबगार

जाओ अब तुम्हारा इंतज़ार नहीं करूंगी
के अब खुद को मायूस बार बार  नहीं करूंगी

बहुत घुमाया तुमने हमें अपनी मतलबपरस्ती में
के  अब ऐसे खुदगर्ज़ से कोई सरोकार नहीं रखूंगी

रोज़ जीते रहे तुम्हारे झूठे  वादों को
के अब मर के भी तुम्हारा ऐतबार नहीं करूंगी

तरसते रहे तुझसे  एक लफ्ज़ ” मोहब्बत “सुनने को
के अब अपने किये वादे  पर बरकार मैं  नहीं रहूंगी

बहुत दिया मौका तुमको , हमें सँभालने का
के अब खुद सम्भलूँगी पर तेरे उठाने का ख्याल अब नहीं करूंगी

बहुत कुछ हार गए हम तुम्हे अपना समझ कर
के अब खुद अपना गुनहगार मैं नहीं बनूँगी

तुझसे पहले मैं आज़ाद थी, मेरी एक राह थी
के अब मेरी बेपरवाह सोच को तेरा गिरफ्तार नहीं रखूंगी

अब जो गए हो तो भूल से भी वास्ता न रखना
के अब तेरा जिक्र जो आया कही पे तो, खुद को तेरा तलबगार नहीं कहूँगी

बहुत अच्छा सिला मिला मुझे तुमसे वफ़ा निभाने  का
के अब किसी से  जो हुआ प्यार, तो यूं जान निसार नहीं करूंगी

तुम तो आये ही थे जाने के लिए
के अब इस से ज़्यादा तुम्हें बेनकाब नहीं करूंगी

अर्चना की रचना  “सिर्फ लफ्ज़ नहीं एहसास”  

0 Comments

Submit a Comment

Pin It on Pinterest

Share This

Share this post with your friends!