ग्लोबल वार्मिंग / जल संकट / प्रकृति पर हिंदी कविता मैं हूँ नीर मैं हूँ नीर, आज की समस्या गंभीरमैं सुनाने को अपनी मनोवेदनाहूँ बहुत अधीर , मैं हूँ नीर जब मैं निकली श्री शिव की जटाओं से ,मैं थी धवल, मैं थी निश्चलमुझे माना तुमने अति पवित्रमैं खलखल बहती जा रही...
Main Hoon Neer- Hindi poetry on global warming/water crises/nature
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