Main Samundar Hoon- Hindi poetry on human nature and environment

by | Dec 10, 2019 | Environment, global warming, NATURE, save water | 0 comments

प्रकृति और मानव दर्शन पर हिंदी कविता

मैं समंदर हूँ

मैं समंदर हूँ
ऊपर से हाहाकार
 पर भीतर अपनी मौज़ों 
में मस्त हूँ 
मैं समंदर हूँ 

दूर से देखोगे तो मुझमें 
उतर चढ़ाव पाओगे
पर अंदर से मुझे
शांत पाओगे 
मैं निरंतर बहते रहने में व्यस्त हूँ
मैं समंदर हूँ 

ऐसा कुछ नहीं जो 
मैंने भीतर छुपा रखा हो
जो मुझमे समाया 
उसे डूबा रखा हो 
हर बुराई बाहर निकाल देने में अभ्यस्त  हूँ 
मैं समंदर हूँ

हूँ विशाल इतना के
एक दुनिया है मेरे अंदर 
जो आया इसमें , उसका
स्वागत है बाहें खोल कर 
अपना चरित्र बनाये
रखने में मदमस्त हूँ 
मैं समंदर हूँ 

लोगों के लिए खारा हूँ 
पर तुम बने रहो उसके 
लिए सब हारा हूँ 
बदले में तुमने जो दिया उस से अब मैं त्रस्त  हूँ
मैं समंदर हूँ

मैं समंदर हूँ 
ऊपर से हाहाकार
पर भीतर अपनी मौज़ों में मस्त हूँ 
मैं समंदर हूँ

अर्चना की रचना  “सिर्फ लफ्ज़ नहीं एहसास”  

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