Durgaashtami par Hindi Kavita wo ladkiyaan

by | Oct 2, 2022 | INSPIRATIONAL, WOMEN EMPOWERMENT | 0 comments

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दुर्गा अष्टमी पर हिंदी कविता “वो लड़कियाँ “

वो लड़कियाँ  जो दिल खोल कर बात करती हैं, 

अपनी ज़िन्दगी का सही-गलत खुद चुनती हैं | 

तुम  उनका चरित्र उनकी बेबाक़ी  से तौल देते हो ,

बहुत कुछ अच्छा -बुरा उनके दामन से जोड़ देते हो | 

जिसमें  न ही कोई सच्चाई सिर्फ एक मसाला है ,

उनकी बेबाक़ी का तुमने अनूठा रंग  निकाला है | 

तुम मिलना भी चाहोगे उनसे , बातें करना चाहोगे, 

पर भरी महफ़िल में उनसे  नज़र चुराओगे | 

क्योंकि ऐसी स्वतंत्र और मज़बूत महिलाएं तो 

सिर्फ टीवी या अख़बारों में अच्छी लगती हैं,

तुम्हारे  घर की बहु-बेटियां तो इंस्टा पर भी नहीं दिखती हैं  |

मैं बेबस और लाचार दिखूं तो ही तुमसे इज़्ज़त पाऊँगी ?

या सिर्फ एक चर्चा बन तुम्हारी महफ़िल का रंग जमाऊँगी ?

मुझे चुनना हो अपना चरित्र तो मैं हर बार दुर्गा बनना चाहूंगी, 

पांचाली हो कर भी लाचार रहूँ , उसमें क्या ही सुख पाऊँगी ?

मुझे तुमसे आश्रय न मिले पर सम्मान ज़रूरी है ,

जो मुझे वो न दे सके, उस  इंसान से दूरी मंज़ूरी है | 

तुम्हारी संगत की चाहत में, मैं खुद को न बदल पाऊँगी,

मुट्ठी भर आसमान मिला है , मैं अकेले ही उसे नाप आऊँगी | 

तुम तौलते रहना  मेरा चरित्र मेरे  मज़बूत इरादों से 

मुझे  भी कहाँ फर्क पड़ता है , तुम्हारी दोहरी चालों से….

 

अर्चना की रचना “सिर्फ लफ्ज़ नहीं एहसास “

Es Baar Ki Navratri- Hindi poetry on woman empowerment/Durga Pooja/save girl

 

 

 

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