“एक कप चाय” रिश्तों पर आधारित हिंदी कविता
चलो कभी मौका मिले तो , एक कप चाय पर ज़रूर आना ,
ग़लतफ़हमियों कि इन दीवारों से , एक ईंट हटाने ज़रूर आना l
जानती हूँ कि तुम बहुत मसरूफ रहते हो ,
औरों कि छोड़ो,
तुम कहाँ खुद से भी रोज़ मिलते हो,
जब कहनी हो कोई बात, और फुर्सत न हो तुम्हारे अपनों के पास,
तो एक कप चाय पर ज़रूर आना l
तुम हिसाब के बहुत पक्के हो, पर रिश्ते निभाने में कच्चे हो ,
कितनी चीनी कितना आटा, सिर्फ मोल भाव में वख्त था काटा ,
लौटा सको मेरा वो वख्त जो तुम पर है उधार ,
तो एक कप चाय पर ज़रूर आना l
मैं चाय चूल्हे पर रख कर , उसे धीमी आंच पे पकाऊँगी,
जो गाने हम संग सुना करते थे , उसे playlist पर लगाऊँगी,
साँझा करना हो जिंदगी का कोई नया तराना,
तो एक कप चाय पर ज़रूर आना l
मुझे शिकायत नहीं तुमसे , बस इतनी सी कहानी है ,
जिसे समझा था मंजिल हमने , अब उस से ही नज़र चुरानी है ,
बदल सको जो कभी नजरिया मेरा ,
तो एक कप चाय पर ज़रूर आना ..
ग़लतफ़हमियों कि इन दीवारों से , एक ईंट हटाने ज़रूर आना …
अर्चना की रचना ” सिर्फ लफ्ज़ नहीं एहसास”
Ek Sham Ke Intezar Me- Hindi poetry On desires in love
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