याद पर आधारित हिंदी कविता
खुशबू
कभी- कभी हवा अपने संग एक खुशबू उड़ा लाती है
और उस से जुडी कोई याद दिला जाती है
जेहन से जो हो गई थी कोसो दूर
पर मन में कहीं दफ़न हो जाती है
कभी अचानक कुछ यूं होता है
कोई पवन का झोंका जब
हमें छूता है
मन वर्त्तमान को लांघ
उस खुशबू के पीछे भाग उठता है
उस पल दफ़न हुई यादों में
रूह सी पड़ जाती है
कभी- कभी हवा अपने संग एक खुशबू उड़ा लाती है
और उस से जुडी कोई याद दिला जाती है
न जाने कब से भूले बैठे थे जिसको
जिसके बिना भी बहला लिया था दिल को
फिर ये बैरी हवा संग ले आई उसी को , की
जिस खुशबू से जुडी कहानी हमने न बतलाई किसी को
उसे मेरे चेहरे की रंगत में न पढ़ ले कोई
ये राज़ “राज़” रखने में बड़ी मुश्किल हो जाती है
कभी- कभी हवा अपने संग एक खुशबू उड़ा लाती है
और उस से जुडी कोई याद दिला जाती है
अर्चना की रचना “सिर्फ लफ्ज़ नहीं एहसास”
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