समझौता एक प्रेरक कविता हिंदी में
ज़िन्दगी जीने का एक ही मंत्र है
जो मिला उसे गले लगाओ
जो नहीं मिला उसे भूल जाओ
यही ज़िन्दगी है
जिये जाओ जिये जाओ
चिंता ,आशा और निराशा की स्मृतियाँ
अपने दिलो से मिटाओ
चैन से सोना है तो
समझौते का तकिया
सरहाने लगाओ
यही ज़िन्दगी है
जिये जाओ जिये जाओ
ये ज़िन्दगी एक समझौता एक्सप्रेस
ही तो है
जिससे बर्दाश्त हो बढे जाओ
जिससे न हो वो उतर जाओ
यही जिंदगी है
जिये जाओ जिये जाओ
मैं तो कायर हूँ
एक बार में मरने से डरता हूँ
इसलिए रोज़ समझौता
करता हूँ
और थोडा थोडा मरता हूँ
हो बहादुर तुम तो इसे
जी कर अपनी बहादुरी
का प्रमाण दिखाओ
यही ज़िन्दगी है
हर हाल में मुस्कुराओ
हर हाल में जिये जाओ
हर हाल में जिये जाओ ….
अर्चना की रचना “सिर्फ लफ्ज़ नहीं एहसास”
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