प्रेम और याद पर आधारित हिंदी कविता
बारिश
बारिश से कहो यूं न आया करे
मुझे तेरा उनके बगैर आना अच्छा नहीं लगता
तूने आने से पहले दस्तक तो दी थी
सर्द मौसम में भिगोने की जुर्रत तो की थी
जितना चाहे रिझा ले मुझको रूमानी हो के
मुझे उनके बिना भीगना अच्छा नहीं लगता
मुझे तेरा उनके बगैर आना अच्छा नहीं लगता
दिल्ली की हवा सिली सी हो गई है
जलाई थी जो लकडियाँ
वो गीली सी हो गई है
शीशों पे पड़ी ओस पर इंतजार लिखना, अच्छा नहीं लगता
मुझे तेरा उनके बगैर आना अच्छा नहीं लगता
तेरा आना , जवाँ दिलो की धड़कने बढ़ाना
उनको भीगा देख शरारत करने को मचल जाना
मुझे आप ही बिखरा काजल और आँचल संभालना ,अच्छा नहीं लगता
मुझे तेरा उनके बगैर आना अच्छा नहीं लगता
तू सर्दी में आ या गर्मी में हमेशा सुहावनी लगती है
गर्मी में तू अल्हड़ शरारतों सी और
सर्दी में आग बन कम्बल मे दुबकी रहती है
दे कर हवा मेरी आरजुओं को यूं भड़काना, अच्छा नहीं लगता
मुझे तेरा उनके बगैर आना अच्छा नहीं लगता
बारिश से कहो यूं न आया करे…..
अर्चना की रचना “सिर्फ लफ्ज़ नहीं एहसास”
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