Sardi Ki Dhoop A Romantic poetry in Hindi

by | Dec 24, 2019 | LOVE, MISSING SOMEONE | 0 comments

सर्दी की धूप प्रेम पर आधारित हिंदी कविता

इश्क तेरा सर्दी की गुनगुनी धूप जैसा

जो बमुश्किल निकलती है

पर जब जब मुझ पर पड़ती है

मुझे थोडा और तेरा कर देती है

मैं बाहें पसारे इसकी गर्माहट को

खुद में समा लेती हूँ

इसकी रंगत न दिख जाये

चेहरे में कही

इसलिए खुद को तेरे सीने

में छुपा लेती हूँ

आज इस बर्फीली ठंढ ने

सिर्फ धुंध का सिंगार सजा

रखा है

न जाने किस रोज़ बिखरेगी

वो गुनगुनी धूप अब फिर

जिसे घने कोहरे ने छुपा रखा है

यूँ उस गुनगुनी धूप के

न होने पर

शाम होते ही हाथ पैर

कुछ नम से हो जाते हैं

फिर थोड़ी गर्माहट पाने

हम बीते लम्हों को

सुलगाते हैं , तब जा कर कही

उस ठिठुरती घडी में

कुछ आराम पाते हैं

कभी वो सूरज धुंधला सा सही

पर रोज़ निकला करता था

और उसकी किरणों का स्पर्श

सारी रात बदन में गर्माहट सा

बना रहता था

मुददतें हुई उस खिली

धूप का एहसास भुलाये हुए

तकिये चादर बालकनी में

डाल उस धूप में नहाये हुए

तुम एक बार फिर वही धूप बन,

मुझ पर फिर बिखरने आ जाओ

और इन साँसों की कपकपाहट

को अपने आलिंगन से मिटा जाओ

जो जब जब मुझ पर पड़ती है

मुझे थोडा और तेरा कर देती है

अर्चना की रचना “सिर्फ लफ्ज़ नहीं एहसास”

और पढ़े https://archanakirachna.com/mujhe-bhi-apne-sath-le-chalo-hindi-romantic-poetry-on-wait/

0 Comments

Submit a Comment

Pin It on Pinterest

Share This

Share this post with your friends!