Shurveer Hindi patriotic love poetry

by | May 4, 2020 | PATRIOTISM, SENTIMENTS | 0 comments

Hindi poetry on patriotism and love - शूरवीर > अर्चना की रचना
  • Facebook
  • Twitter
  • Pinterest

देशभक्ति प्रेम पर हिंदी कविता 

शूरवीर 

आज फिर गूँज उठा कश्मीर 

सुन कर ये खबर

दिल सहम गया 

और घबरा कर हाथ 

रिमोट पर गया 

खबर ऐसी थी की दिल गया चीर 

हैडलाइन थी 

आज  फिर गूँज उठा कश्मीर 

फ़ोन उठा कर देखा तो 

उनको भेजा आखिरी मेसेज  

अब तक unread था 

न ही पहले के मेसेज  पर 

blue tick था 

ऑनलाइन status भी घंटों पहले 

का दिखला रहा था 

अब मेरा जी और ज़ोरों से घबरा रहा था 

सोचा रहा था 

उस खबर में कही एक नाम उनका न हो

जिसमे लिखा था  

आज फिर देश ने खोया अपना शूरवीर 

आज फिर गूँज उठा कश्मीर 

सुद्बुध खो के बस फ़ोन 

देखे जा रही थी 

रह रह के उनकी 

बातें याद आ रही थी 

तुम एक शूरवीर की पत्नी हो

और मेरे शहीद होने से डरती हो 

मेरी तो ये इच्छा है के मैं 

एक दिन तिरंगे में लिपट कर घर आऊं

बहुत शिकायत करती हो तुम 

फिर हमेशा के लिए तुम्हारे 

साथ ठहर जाऊँ

उनकी ये बातें  दिल भेद देती थी बन कर तीर 

फिर अचानक मन वर्तमान में आ पंहुचा 

जहा सुना था 

आज फिर गूँज उठा कश्मीर 

सोते जागते उठते बैठते 

मैं सिर्फ सोच रही थी 

अपने बारे बारे में 

और भूल गई

जिनका नाम शामिल था आज

शहीदों की लिस्ट में

जाने ये  सुनकर, उस 

माँ पर क्या बीत रही होगी 

जब ये खबर उन तक पहुँची होगी 

के नहीं रहा उनका शूरवीर 

जाने वो पत्नी खुद को और 

पुरे घर को कैसे संभालती होगी 

ऊपर से मज़बूत दिखती होगी 

पर भीतर बहा रही होगी नीर 

जब से सुना होगा 

आज फिर गूँज उठा कश्मीर 

इतना आसन नहीं इन शूरवीरों की 

शौर्य गाथा गा पाना 

अपना प्रेम छिपा कर 

एक पत्नी  और माँ का कठोर 

हो पाना 

जाते जाते अपने वीर को

मुस्कुरा कर विदा कर पाना 

सच पूछो तो उसकी वीरता सुन के 

सीना गर्व से चौड़ा हो जाता है 

पर उसके साथ ही शरीर बिन 

प्राण का हो जाता है 

जब उसकी शहादत पर 

पर सारी दुनिया को होती है पीर 

सब रोते हैं जब 

ये देश खोता है अपना शूरवीर 

दहल जाते हैं सभी सुन के 

आज फिर गूँज उठा कश्मीर 

तभी फ़ोन विडियो कॉल से बज उठा 

इन प्राणों में प्राण आये 

जब देखी उनकी तस्वीर 

सारे आँसू पोंछ लिए उसी  पल 

क्योंकि नहीं दिखना चाहती थी 

साहसहीन 

पर मेरी नज़रों को वो भाप गए 

और बोले 

 मैंने कहा है न के

मैं वापस आऊँगा 

चाहे तिरंगे में लिपट कर

या अपने पैरों पर चल कर

फिर क्यों होती हो ग़मगीन 

मैं भी उनके साथ मुस्कुरा तो दी  

पर दिल में वो डर हमेशा रहता है 

जब गूँज उठता है कश्मीर ….

 

उरी ,पुलवामा ,हंदवारा के शहीदों और भारतीय सेना के शूरवीरों को मेरी भावपूर्ण श्रधांजलि 

अर्चना की रचना “सिर्फ लफ्ज़ नहीं एहसास”

 

Mera Swarth aur uska samarpan- Hindi Patriotic Poetry on soldier and his sacrifices

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

0 Comments

Submit a Comment

Pin It on Pinterest

Share This

Share this post with your friends!